हम को हरगिज़ नहीं ख़ुदा मंज़ूर By Sher << कहिए तो आसमाँ को ज़मीं पर... छोड़ूँगा मैं न उस बुत-ए-क... >> हम को हरगिज़ नहीं ख़ुदा मंज़ूर या'नी हम बे-तरह ख़ुदा के हैं Share on: