हम ने हज़ार फ़ासले जी कर तमाम शब By Sher << इस कश्मकश में तेरी गली से... हमारे ब'अद सुनना दूसर... >> हम ने हज़ार फ़ासले जी कर तमाम शब इक मुख़्तसर सी रात को मुद्दत बना दिया Share on: