हम ने काँटों को भी नरमी से छुआ है अक्सर By Sher << जिगर में ल'अल के आतिश... ये सानेहा भी हो गया है रस... >> हम ने काँटों को भी नरमी से छुआ है अक्सर लोग बेदर्द हैं फूलों को मसल देते हैं Share on: