हम से ज़ियादा कौन समझता है ग़म की गहराई को By Sher << इस घर के चप्पे चप्पे पर छ... हम ने सारा जीवन बाँटी प्य... >> हम से ज़ियादा कौन समझता है ग़म की गहराई को हम ने ख़्वाबों की मिट्टी से पाटा है इस खाई को Share on: