हम उस निगाह-ए-नाज़ को समझे थे नेश्तर By Sher << बख़्त से कोई शिकायत है न ... बोसा-ए-ख़ाल-ए-लब-ए-जानाँ ... >> हम उस निगाह-ए-नाज़ को समझे थे नेश्तर तुम ने तो मुस्कुरा के रग-ए-जाँ बना दिया Share on: