हमारे दौर की तारीकियाँ मिटाने को By Sher << कौन मर कर दोबारा ज़िंदा ह... बहुत तन्हा है वो ऊँची हवे... >> हमारे दौर की तारीकियाँ मिटाने को सहाब-ए-दर्द से ख़ुशियों का चाँद उभरा है Share on: