हमारे हाथ काटे जा रहे थे By Sher << धूम थी अपनी पारसाई की हज़ारों दिल मसल कर पैर से... >> हमारे हाथ काटे जा रहे थे तुम्हारे हाथ से किरपान ले कर Share on: