बे-वजह भी देखा है परेशाँ तुम्हें 'हामिद' By Sher << कितने ग़म हैं जो सर-ए-शाम... ये जफ़ाओं की सज़ा है कि त... >> बे-वजह भी देखा है परेशाँ तुम्हें 'हामिद' दीवाने भी लगते नहीं आशिक़ भी नहीं हो Share on: