बज़्म को रंग-ए-सुख़न मैं ने दिया है 'अख़्गर' By Sher << बे-शक असीर-ए-गेसू-ए-जानाँ... अजब है आलम अजब है मंज़र क... >> बज़्म को रंग-ए-सुख़न मैं ने दिया है 'अख़्गर' लोग चुप चुप थे मिरी तर्ज़-ए-नवा से पहले Share on: