मिले वो लम्हा जिसे अपना कह सकें 'कैफ़ी' By Sher << मुद्दतें गुज़रीं मुलाक़ात... कोई भी रुत हो मिली है दुख... >> मिले वो लम्हा जिसे अपना कह सकें 'कैफ़ी' गुज़र रहे हैं इसी जुस्तुजू में माह-ओ-साल Share on: