हर आदमी के क़द से उस की क़बा बड़ी है By Sher << ख़्वाब ठहरे थे तो आँखें भ... एक बच्चा सा बे-सबब 'ज... >> हर आदमी के क़द से उस की क़बा बड़ी है सूरज पहन के निकले धुँदले चराग़ यारो Share on: