हर आदमी में थे दो चार आदमी पिन्हाँ By Sher << इश्क़ ने मंसब लिखे जिस दि... लगा रहा हूँ मज़ामीन-ऐ-नौ ... >> हर आदमी में थे दो चार आदमी पिन्हाँ किसी को ढूँडने निकला कोई मिला मुझ को Share on: