हर दौर में रहा यही आईन-ए-मुंसिफ़ी By Sher << तुयूर थे जो घोंसलों में प... अहल-ए-हुनर की आँखों में क... >> हर दौर में रहा यही आईन-ए-मुंसिफ़ी जो सर न झुक सके वो क़लम कर दिए गए Share on: