हर एक जानता है कि मुझ पर नज़र पड़ी By Sher << रफ़्ता रफ़्ता आँखों को है... सेह्हत है मरज़ क़ज़ा शिफ़... >> हर एक जानता है कि मुझ पर नज़र पड़ी क्या शोख़ियाँ हैं उस निगह-ए-सेहर-कार में Share on: