हर एक लहज़ा मिरी धड़कनों में चुभती थी By Sher << दर पे नालाँ जो हूँ तो कहत... तुम्हारा नाम लिया था कभी ... >> हर एक लहज़ा मिरी धड़कनों में चुभती थी अजीब चीज़ मिरे दिल के आस-पास रही Share on: