हर एक रात कहीं दूर भाग जाता हूँ By Sher << एक बोसा होंट पर फैला तबस्... आमद आमद ख़िज़ाँ की है शाय... >> हर एक रात कहीं दूर भाग जाता हूँ हर एक सुब्ह कोई मुझ को खींच लाता है Share on: