हर फूल पे उस शख़्स को पत्थर थे चलाने By Sher << तुम्हारा नाम लिया था कभी ... कोई तो आए सुनाए नवेद-ए-ता... >> हर फूल पे उस शख़्स को पत्थर थे चलाने अश्कों से हर इक बर्ग को भरना था हमें भी Share on: