हर इक से पूछते फिरते हैं तेरे ख़ाना-ब-दोश By Sher << तुम सादा-मिज़ाजी से मिटे ... दुश्मनों के साथ मेरे दोस्... >> हर इक से पूछते फिरते हैं तेरे ख़ाना-ब-दोश अज़ाब-ए-दर-ब-दरी किस के घर में रक्खा जाए Share on: