हर सदा से बच के वो एहसास-ए-तन्हाई में है By Sher << मुद्दआ हम अपना काग़ज़ पर ... चेहरे को तेरे देख के ख़ाम... >> हर सदा से बच के वो एहसास-ए-तन्हाई में है अपने ही दीवार-ओ-दर में गूँजता रह जाएगा Share on: