हर शाख़-ए-चमन है अफ़्सुर्दा हर फूल का चेहरा पज़मुर्दा By Sher << मसअला ये है कि उस के दिल ... इक नवा-ए-रफ़्ता की बाज़गश... >> हर शाख़-ए-चमन है अफ़्सुर्दा हर फूल का चेहरा पज़मुर्दा आग़ाज़ ही जब ऐसा है तो फिर अंजाम-ए-बहाराँ क्या होगा Share on: