हर तरफ़ हर जगह बे-शुमार आदमी By Sher << एहसान नहीं ख़्वाब में आए ... ये सच है मिल बैठने की हद ... >> हर तरफ़ हर जगह बे-शुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी Share on: