हर-चंद हमा-गीर नहीं ज़ौक़-ए-असीरी By Sher << हसीन सूरत हमें हमेशा हसीं... हर तरफ़ हैं ख़ाना-बर्बादी... >> हर-चंद हमा-गीर नहीं ज़ौक़-ए-असीरी हर पाँव में ज़ंजीर है मैं देख रहा हूँ Share on: