हरगिज़ न मुझ से साफ़ हुआ यार या नसीब By Sher << मैं करूँ किस का नज़ारा दे... पड़ी फिरती हैं कई लैला-ओ-... >> हरगिज़ न मुझ से साफ़ हुआ यार या नसीब ख़त भी लिखा जो उस ने तो ख़त्त-ए-ग़ुबार में Share on: