मुझ को 'जलील' कौन कहेगा शिकस्ता-दिल By Sher << सफ़ीने डूब गए कितने दिल क... मैं न दरिया हूँ न साहिल न... >> मुझ को 'जलील' कौन कहेगा शिकस्ता-दिल खाया था एक ज़ख़्म सो वो बे-निशाँ रहा Share on: