हश्र में इंसाफ़ होगा बस यही सुनते रहो By Sher << शाम होते ही तेरे हिज्र का... बना रहा हूँ अभी घर को आइन... >> हश्र में इंसाफ़ होगा बस यही सुनते रहो कुछ यहाँ होता रहा है कुछ वहाँ हो जाएगा Share on: