शेर दर-अस्ल हैं वही 'हसरत' By Sher << शेर मेरे भी हैं पुर-दर्द ... शाम हो या कि सहर याद उन्ह... >> शेर दर-अस्ल हैं वही 'हसरत' सुनते ही दिल में जो उतर जाएँ Share on: