कहाँ हम कहाँ वस्ल-ए-जानाँ की 'हसरत' By Sher << कहने को तो मैं भूल गया हू... कभी की थी जो अब वफ़ा कीजि... >> कहाँ हम कहाँ वस्ल-ए-जानाँ की 'हसरत' बहुत है उन्हें इक नज़र देख लेना Share on: