हसरत-ए-दिल ना-मुकम्मल है किताब-ए-ज़िंदगी By Sher << दिन एक सितम एक सितम रात क... बे-साख़्ता बिखर गई जल्वों... >> हसरत-ए-दिल ना-मुकम्मल है किताब-ए-ज़िंदगी जोड़ दे माज़ी के सब औराक़ मुस्तक़बिल के साथ Share on: