हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते By Sher << बुझ गई कुछ इस तरह शम्-ए-&... जो ख़स-ए-बदन था जला बहुत ... >> हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते Share on: