हाथ से किस ने साग़र पटका मौसम की बे-कैफ़ी पर By Sher << अब तो ज़ाहिद भी ये कहता ह... उन से हम लौ लगाए बैठे हैं >> हाथ से किस ने साग़र पटका मौसम की बे-कैफ़ी पर इतना बरसा टूट के बादल डूब चला मय-ख़ाना भी Share on: