है ये पूरब की ज़बान-दानी 'मेहर' By Sher << हम भी बातें बनाया करते है... गुलज़ार में फिर कोई गुल-ए... >> है ये पूरब की ज़बान-दानी 'मेहर' कहते हैं बात को हम सुनता हूँ Share on: