हवा में नश्शा ही नश्शा फ़ज़ा में रंग ही रंग By Sher << कली रह गई ना-शगुफ़्ता हमा... दिल को मैं अपने पास क्यूँ... >> हवा में नश्शा ही नश्शा फ़ज़ा में रंग ही रंग ये किस ने पैरहन अपना उछाल रक्खा है Share on: