हवा-ए-इश्क़ ने भी गुल खिलाए हैं क्या क्या By Sher << सहारा न देती अगर मौज-ए-तू... उस से पूछो अज़ाब रस्तों क... >> हवा-ए-इश्क़ ने भी गुल खिलाए हैं क्या क्या जो मेरा हाल था वो तेरा हाल होने लगा Share on: