हवा-ए-कूफ़ा-ए-ना-मेहरबाँ को हैरत है By Sher << ऐ मोहतसिब न फेंक मिरे मोह... रस्म-ए-ताज़ीम न रुस्वा हो... >> हवा-ए-कूफ़ा-ए-ना-मेहरबाँ को हैरत है कि लोग ख़ेमा-ए-सब्र-ओ-रज़ा में ज़िंदा हैं Share on: