हवस को है नशात-ए-कार क्या क्या By Sher << सोचता हूँ कि उस की याद आख... तू इतनी दिल-ज़दा तो न थी ... >> हवस को है नशात-ए-कार क्या क्या न हो मरना तो जीने का मज़ा क्या Share on: