अब दिलों में कोई गुंजाइश नहीं मिलती 'हयात' By Sher << चेहरे को तेरे देख के ख़ाम... ज़िंदगी का साज़ भी क्या स... >> अब दिलों में कोई गुंजाइश नहीं मिलती 'हयात' बस किताबों में लिक्खा हर्फ़-ए-वफ़ा रह जाएगा Share on: