हिज्र का बाब ही काफ़ी था हमें By Sher << कोई चराग़ मिरी सम्त भी रव... ज़िंदगी अज़्मत-ए-हाज़िर क... >> हिज्र का बाब ही काफ़ी था हमें वस्ल का बाब नहीं देखा था Share on: