हिज्र की मसाफ़त में साथ तू रहा हर दम By Sher << गुज़र रहा हूँ मैं सौदा-गर... सहर होते ही कोई हो गया रु... >> हिज्र की मसाफ़त में साथ तू रहा हर दम दूर हो गए तुझ से जब तिरे क़रीं पहुँचे Share on: