हिम्मत का ज़ाहिदों की सरासर क़ुसूर था By Sher << होंठों में दाब कर जो गिलौ... गुल-गूँ तिरी गली रहे आशिक... >> हिम्मत का ज़ाहिदों की सरासर क़ुसूर था मय-ख़ाना ख़ानक़ाह से ऐसा न दूर था Share on: