हक़ीक़ी इश्क़ की इश्क़-ए-मजाज़ी पहली मंज़िल है By Sher << मदार-ए-ज़िंदगी ठहरा नफ़स ... हमेशा शेर कहना काम था वाल... >> हक़ीक़ी इश्क़ की इश्क़-ए-मजाज़ी पहली मंज़िल है चलो सू-ए-ख़ुदा ऐ ज़ाहिदों कू-ए-बुताँ हो कर human love is the stepping stone to love divine Share on: