हो ग़रीबों का चाक ख़ाक रफ़ू By Sher << किस को फ़ुर्सत थी ज़माने ... सुन रहे हैं कान जो कहते ह... >> हो ग़रीबों का चाक ख़ाक रफ़ू तार हाथ आए जब न दामन से Share on: