हो जाती है हवा क़फ़स-ए-तन से छट के रूह By Sher << दिल की तमन्ना थी मस्ती मे... समझ रहा है ज़माना रिया के... >> हो जाती है हवा क़फ़स-ए-तन से छट के रूह क्या सैद भागता है रिहा हो के दाम से Share on: