हो रहा हूँ तिरे दुख में तहलील By Sher << ख़ूब गहरी जो लगी चोट तो ह... ख़ुश्बू जैसी रात ने मेरा >> हो रहा हूँ तिरे दुख में तहलील अपने हर दर्द से कटता जाऊँ Share on: