होंट की सुर्ख़ी झाँक उठती है शीशे के पैमानों से By Sher << तिरे जुज़्व जुज़्व ख़याल ... चंद बातें वो जो हम रिंदों... >> होंट की सुर्ख़ी झाँक उठती है शीशे के पैमानों से मिट्टी के बर्तन में पानी पी कर प्यास बुझाया कर Share on: