होश आने का था जो ख़ौफ़ मुझे By Sher << वस्ल की रात हम-नशीं क्यूँ... दैर ओ हरम ब-चशम-ए-हक़ीक़त... >> होश आने का था जो ख़ौफ़ मुझे मय-कदे से न उम्र भर निकला Share on: