होता है मिरे दिल में हसीनों का गुज़र भी By Sher << देखो तो हर इक शख़्स के हा... रोज़ दोहराते थे अफ़्साना-... >> होता है मिरे दिल में हसीनों का गुज़र भी इक अंजुमन-ए-नाज़ है अल्लाह का घर भी Share on: