होते होते न हुआ मिसरा-ए-रंगीं मौज़ूँ By Sher << फ़रेब-ए-साक़ी-ए-महफ़िल न ... थोड़ा सा कहीं जम्अ भी रख ... >> होते होते न हुआ मिसरा-ए-रंगीं मौज़ूँ बंद क्यूँ हो गया ख़ून-ए-जिगर आते आते Share on: