हूँ पारसा तिरे पहलू में शब गुज़ार के भी By Sher << बहुत गदला था पानी उस नदी ... कश्ती की तरह तुम मुझे दरि... >> हूँ पारसा तिरे पहलू में शब गुज़ार के भी मैं बे-लिबास नहीं पैरहन उतार के भी Share on: