हुआ है हिन्द के सब्ज़ों का आशिक़ By Sher << इश्क़ का तीर दिल में लागा... हो गए हैं पैर सारे तिफ़्ल... >> हुआ है हिन्द के सब्ज़ों का आशिक़ न होवें 'आबरू' के क्यूँ हरे बख़्त Share on: