हब्स-ए-दवाम तो नहीं दुनिया कि मर रहूँ By Sher << है आज रुख़ हवा का मुआफ़िक... गर ख़ंदा याद आए तो सीने क... >> हब्स-ए-दवाम तो नहीं दुनिया कि मर रहूँ काहे को घर ख़याल करूँ रहगुज़र को मैं Share on: